Kavita Gautam

Add To collaction

भाव रूपी फूल

"भाव रूपी फूल"

एक ही माली ने उगाया इन्हें
एक ही जल ने सींचा इन्हें
एक ही सूरज की मिली रोशनी
एक ही वायु ने छुआ इन्हें
फिर क्यूं हुए ये सभी विलग

फिर क्यूं कोई मंदिर गया
फिर क्यूं कोई मज्जिद गया
फिर क्यूं कोई गया गुरुद्वारे
फिर क्यूं कोई गिरिजाघर गया

ये किस्मत है या है बटवारा
है या कोई खेल निराला
प्रथक हो गए सभी फूल इस कदर
कि माली को ही प्रथक कर डाला

उस पर भी कमाल ये देखो
कि सिर्फ प्रथक ही नहीं
एक ही माली को
भिन्न भिन्न नामों से
अपनी अपनी भाषा में
एक को दूसरे से श्रेष्ठ कह डाला

इसी छोटी सोच ने
प्रत्येक फूल को प्रथक कर डाला
फूलों के विभाजन से
प्रथक होते सिर्फ धर्म ही नहीं
प्रथक हो जाती सोच भी है
जो निश्चित ही चिंतन का विषय भी है

इसीलिए मैंने प्रभु
छोड़ के सारे फूलों को
मानवता के भाव रूपी फूलों की
भेट तुम्हें समर्पित की है।।

कविता गौतम...✍️

30-5-22

दैनिक प्रतियोगिता हेतु।

   20
10 Comments

Kavita Gautam

01-Jun-2022 06:05 AM

आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏

Reply

Shnaya

31-May-2022 09:19 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

Reply

Rahman

31-May-2022 06:11 PM

Nyc

Reply